Jindgi

Importance of Life↻

"Life in the World Unseen" gives one of the most comprehensive accounts of what follows physical death. Received through the clairaudient mediumship of Anthony Borgia, an old friend to the author, Monsignor Robert Hugh Benson, who was himself a son of a former Bishop of Canterbury.  It strongly supports and  emphasizes the cause & effect relationship that exists between this life and the next.  The information contained in this book was conveyed from the spirit world to a friend and acquaintance,  so it is told in the first person, as one who now resides in the spirit world. The communicator, Monsignor Robert Hugh Benson, delightfully shows us, with both humour and compassion, how many of our preconceived notions of 'the next life' are substantially incorrect. One of the great regrets from his earth life was that he too added to this general misconception by his writing The Necromancers, a book which dealt with the subject of spirit return, but which gave a distorted view of the facts. The writing of the present volume, however, has enabled Monsignor to redress his wrongs.On passing to the spirit world, every person, regardless of color or creed, will find themselves the inheritors of precisely the spiritual abode to which their earthly lives have befitted them. The spirit world is the land of the great harvest, the seeds of which were sown upon the earth: "Whatever a man sows, that shall he reap" has its full and just application. Those who find themselves in the bleak and meager surroundings of the dark realms have only themselves to reproach, for what they see about them is an outward expression of the current state of their spiritual progression. Just as the beauties of the light realms are created and upheld by theirs inhabitants, so have the conditions of the dark realms been brought about: beauty of deed and thought can produce nothing but beauty.


जीभ जन्म से होती है 
और मृत्यु तक रहती है.....
क्योकि वो कोमल होती है.
दाँत जन्म के बाद में आते है 
और मृत्यु से पहले चले जाते हैं.. 
क्योकि वो कठोर होते है। 

छोटा बनके रहोगे तो 
मिलेगी हर बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो 
माँ भी गोद से उतार देती है.
पानी के बिना नदी बेकार है,
     अतिथि के बिना आँगन बेकार है,
   प्रेम न हो तो सगे-सम्बन्धी बेकार है, 
       पैसा न हो तो पाकेट बेकार है,
           और जीवन में गुरु न हो 
               तो जीवन बेकार है,,
                इसलिए जीवन में 
         "गुरु"जरुरी है.. "गुरुर" नही.ं
यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते :-

🔹नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात!
       बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!!
🔹पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज!
      कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!!
🔹भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास!
     बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!!
🔹मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश!
      बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!!
🔹बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान!
      पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!!
🔹पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग!
      मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!!
🔹फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर!
     पापी करते जागरण, मचा-मचा   कर शोर!
🔹पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप!
     भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप!😒😒😒😒
 मन लगाकर पढ़िये और दिल से सोचो की माँ के दिल पर क्या गुजरती हैं जब ये उनके साथ होता हैं:~
 🔆वाह रे जमाने तेरी हद हो गई, 
    बीबी के आगे मदर रद्द हो गई !

♻बड़ी मेहनत से जिसने पाला, 
    आज वो मोहताज हो गई ! 
♻और कल की छोकरी, तेरे   
    सर का ताज हो गई !
♻बीवी हमदर्द और मॉं सरदर्द 
     हो गई !

    🔆वाह रे जमाने तेरी हद .........
♻पेट पे सुलाने वाली, पैरों में सो 
       रही है !
♻बीवी के लिए लिम्का, 
      मॉं पानी को रो रही है ! 
♻सुनता नहीं कोई, वो आवाज 
     देते देते सो गई !

    🔆वाह रे जमाने तेरी हद .........
♻मॉं मांजती है बर्तन , वो सजती
       संवरती है !
♻अभी निपटी ना बुढ़िया तू , 
       इस लीये उस पर बरसती है !
♻अरे दुनिया को आई मौत, 
       मौत तेरी कहॉ गुम हो गई !
         
   🔆वाह रे जमाने तेरी हद  ..........
♻अरे जिसकी कोख में पला, 
     अब उसकी छाया बुरी लगती है, 

♻बैठे होण्डा पे महबूबा, 
     कन्धे पर हाथ जो रखती,
♻वो यादें अतीत की, 
       वो मोहब्बतें मॉ की, 
                 सब रद्द हो गई ! 
 🔆 वाह रे जमाने तेरी हद  ...........

♻बेबस हुई मॉ अब, 
      दिए टुकड़ो पर पलती है, 
♻अतीत को याद कर, 
     तेरा प्यार पाने को मचलती है !
♻अरे मुसीबत जिसने उठाई, 
       वो खुद मुसीबत हो गई ! 

 🔆 वाह रे जमाने तेरी हद .......

Comments

Popular posts from this blog

Maha Shivratri

गरीबी

PILIBHIT

PURNAGIRI Visit

Real life of a farmar in this time

Nainital

जीवन की सबसे बड़ी सिख देने वाली कहानी